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योग दर्शन - दिल, दिमाँग और शरीर को
Dr Bharat Raj Singh • Satish Kumar Singh • Mukesh Kumar Singh
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योग दर्शन मुख्यतः दो अस्तित्वो के समन्वय का शाब्दिक अर्थ है और योग शब्द के भी दो अर्थ हैं पहला संयुक्त और दूसरा समाधि। इसकी उद्भूति ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में महर्षि पतंजलि के योगसूत्र से हुयी एवं उत्पत्ति संस्कृत के मूल शब्द युज (YUJA) से हुयी है। युज का अर्थ है - एक दूसरे को मिलाना या एकजुट करना । महर्षि पतं]जलि के योग को राजयोग या अष्टांग योग कहा जाता है। उक्त आठ अंगों (1)यम (2)नियम (3)आसन (4)प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7)ध्यान (8) समाधि में ही सभी तरह के योग का समावेश हो जाता है । मानव भौतिक अनुप्रयोग और यौगिक ध्यान के तकनीकों का उपयोग करके मुक्ति प्राप्त कर सकता है, और इस प्रकार मनुष्य प्रकृति से अलग हो जाता है । परन्तु जब तक आप अपने को खुद से नहीं जोड़ेंगे, समाधि तक पहुंचना मुश्किल होगा। प्राचीन
- Format: Pocket/Paperback
- ISBN: 9781312519435
- Språk: Engelska
- Antal sidor: 260
- Utgivningsdatum: 2023-05-28
- Förlag: Lulu.com