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Achoot Kaun The Aur Vo Achoot Kaise Bane

Dr Ambedkar

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  • 154 sidor
  • 2024
यह विडंबना की बात है कि आज भी इन जातियों (जरायम-पेशा जातियाँ, आदिवासी जातियाँ और अछूत जातियाँ) के वर्ग कायम हैं-जो एक कलंक है। यदि 'हिन्दू-सभ्यता' को इन वर्गों के जनक के रूप में देखा जाए, तो वह 'सभ्यता' ही नहीं कहला सकती। वह तो मानवता को दबाए तथा गुलाम बनाए रखने के लिए शैतान का षड्यंल है। इसका ठीक नामकरण 'शैतानियत' होना चाहिए। उस 'सभ्यता' को हम और क्या नाम दें-जिसने ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या को जन्म दिया हो, जिन्हें यह शिक्षा दी जाती है कि चोरी-चकारी करके जीविका चलाना जीविकोपार्जन का एक मान्य 'स्वधर्म' है। दूसरी बड़ी संख्या, सभ्यता के बीचोबीच अपनी आरंभिक बर्बर अवस्था बनाए रखने के लिए स्वतंल छोड़ दी गई है। और एक तीसरी बड़ी संख्या है, जिसे सामाजिक व्यवहार से परे की चीज समझा गया है, और जिसके स्पर्श
  • Författare: Dr Ambedkar
  • Format: Pocket/Paperback
  • ISBN: 9789367939611
  • Språk: Hindi
  • Antal sidor: 154
  • Utgivningsdatum: 2024-12-21
  • Förlag: Prabhakar Prakashan Private Limited