199:-
Ingår i 4 pocket för 3
Uppskattad leveranstid 7-12 arbetsdagar
Fri frakt för medlemmar vid köp för minst 249:-
Andra format:
- Inbunden 399:-
यह मेरा सातवाँ ग़ज़ल संग्रह है। इससे पहले 2001-2022 के मध्य 'शंख सीपी रेत पानी', 'मैं नदी की सोचता हूँ', 'पहाड़ों से समंदर तक', 'शिखरों के सोपान', 'ज्योति जगाये बैठे हैं' तथा 'मनसा वाचा' संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही 'चयनित ग़ज़लें 'और 'प्रतिनिधि ग़ज़लें' नामक दो संकलन भी आ चुके हैं। यानी छः सौ के करीब ग़ज़लें प्रकाशित हो चुकी हैं। बावजूद इसके ग़ज़ल कहने की प्यास जैसे हमेशा बनी ही रहती है। लेकिन बीच-बीच में लिखने का यह क्रम तब टूटता है जब गद्य पर काम करने का दबाव ज्यादा बढ़ जाता है और ये स्थितियाँ बीच- बीच में आती ही रहती हैं। परंतु इस संग्रह में शामिल ग़ज़लें अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच की हैं, जो एक ही प्रवाह के रूप में हर दूसरे- तीसरे दिन मेरे भीतर उतरती रही हैं। इन ग़ज़लों में मैंने अपने आप का अलग तरह का
- Format: Pocket/Paperback
- ISBN: 9789363185647
- Språk: Hindi
- Antal sidor: 114
- Utgivningsdatum: 2024-10-08
- Förlag: Diamond Books