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चापेकर बंधु--दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी चापेकर तथा वासुदेव हरी चापेकर--तीनों भाइयों को क्रांतित्रयी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। चापेकर बंधु पुणे के पास चिंचवड के निवासी थे और बाल गंगाधर तिलक को अपना गुरु मानते थे। आरंभ से ही उनके मन में भारत को विदेशी दासता से मुक्त कराने की दृढ़ भावना थी । सन्] 1896 में जब पुणे में प्लेग महामारी फैली तो इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने रैंड नामक एक अधिकारी को तैनात किया । रैंड के गोरे अधिकारी जाँच के नाम पर घर-घर लोगों पर अत्याचार करने लगे। इन अत्याचारों ने चापेकर बंधुओं को अंदर तक आक्रोशित करके रख दिया। उन्होंने रैंड से बदला लेने की ठान ली। एक दिन जब रैंड और उसका साथी एक उत्सव में भाग लेकर लौट रहे थे तो बालकृष्ण ने रैंड के साथी आयस्रट को तथा दामोदर ने
- Format: Inbunden
- ISBN: 9789392574023
- Språk: Engelska
- Antal sidor: 184
- Utgivningsdatum: 2022-12-01
- Förlag: Prabhat Prakashan