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भारत की आजादी के बाद से ही कुछ मुट्ठी भर राष्ट्रविरोधी छद्म विचारकों द्वारा राष्ट्रवाद का प्रयोग संकुचित और सीमित अर्थों में किया जाने लगा, जबकि राष्ट्रवाद किसी भी देश के नागरिकों की अपने देश के प्रति वह रागात्मक भावना है, जिसके कारण वह बिना किसी निजी स्वार्थ के राष्ट्र की प्राकृतिक, भौतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक अस्मिता से एक स्वाभाविक प्रेम रखता है। यही वह भावना है जो एक ही राष्ट्र में विविध भाषाओं, वर्गों और संस्कृतियों को एक सूत्र में जोड़ते हुए उसे राष्ट्रप्रेम की ओर उन्मुख करती है। दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि तथाकथित बड़े-बड़े लेखकों और चिंतकों ने भी भारतीय राष्ट्रवाद की नकारात्मक व्याख्या की, जबकि इसकी वैश्विक कल्याणकारी दृष्टि विश्व के प्राचीनतम साहित्य
- Format: Inbunden
- ISBN: 9789390923229
- Språk: Engelska
- Antal sidor: 176
- Utgivningsdatum: 2021-11-27
- Förlag: Prabhat Prakashan Pvt Ltd