bokomslag Dwabha
Skönlitteratur

Dwabha

Namvar Singh

Inbunden

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  • 272 sidor
  • 2018
नामवर सिह अब एक विशिष्ट शख्सियत की देहरी लॉघकर एक लिविंग 'लीजेंड' हो चुके है तमाम तरह क विवादों, आरोपों और विरोध के साथ असंख्य लोगों की प्रसंशा से लेकर 'भक्ति-भाव तक को समान दूरी से स्वीकारने वाले नामवर जी ने पिछले दशकों में मच से इतना बोला है कि शोधकर्ता लगातार उनके व्याख्यानों को एकत्रित कर रहे हैं और पुस्तकों के रूप में पाठकों क सामने ला रहे है । यह पुस्तक भी इसी तरह का एक प्रयाप्त है लेकिन इसे किसी शोधार्थी ने नहीं उनके पुत्र विजय प्रकाश ने संकलित किया है । इस संकलन में मुख्यत उनके व्याख्यान हैं और साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे-छपे उनके कुछ आलेख भी है । नामवर जी ने अपने जीबन-काल मे कितने विषयों को अपने विचार और मनन विषय बनाया होगा, कहना मुश्किल है अपने अपार और सतत अध्ययन तथा
  • Författare: Namvar Singh
  • Format: Inbunden
  • ISBN: 9789388183222
  • Språk: Engelska
  • Antal sidor: 272
  • Utgivningsdatum: 2018-09-01
  • Förlag: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd