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शंख घोष की कविता का स्वर सांद्र है, उसमें गहरी करुणा है। और उसकी शब्द सम्पदा हमें दृश्यों/परिस्थितियों की एक बड़ी रेंज के बीच खड़ा कर देती है-जहाँ से दैनंदिन जीवन को समझने-बूझने के साथ, हम सृष्टि और प्रकृति के बहुतेरे मर्मों को भी चिह्नित कर पाते हैं। वह संकेतों में भी बहुत कुछ कहती है। बिम्ब तो वह कई तरह के रचती ही है। और उपमाओं का जहाँ-जहाँ प्रयोग है, वे अनूठी ही हैं। उनकी कविताओं में अर्थ-गांभीर्य है और इस गांभीर्य के स्रोत विनोद और प्रखर उक्तियों में भी छिपे हैं। गहन-गम्भीर चिन्तन में तो हैं ही। वह उन कवियों में से हैं जिनकी कविता अपनी एक विशिष्ट पहचान मानों आरम्भ से आँकती आयी है, पर, अपने विशिष्ट स्वर की रक्षा करते हुए, वह अपने को हर चरण में कुछ 'नया' भी करती आयी है, जिसमें
- Format: Inbunden
- ISBN: 9789387462502
- Språk: Engelska
- Antal sidor: 96
- Utgivningsdatum: 2018-01-01
- Förlag: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd