bokomslag Thartharahat
Skönlitteratur

Thartharahat

Aasteek Vajpeyi

Inbunden

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  • 150 sidor
  • 2017
कविता वह समय है जिसे इतिहास देख भले ले पर दुहरा नहीं सकता.. ये कुछ शब्द नए कवि आस्तीक वाजपेयी की कविता के हैं जो तुमुल कोलाहल-कलह के बीच कवि की आवाज़ में बचे रह गए उस समय की याद दिलाते हंै जिसमें पुराण और पुरखों की स्मृति बसी हुई है। इस कविता को पढ़ते हुए उस अग्रज समय का अहसास होता है जो जल्दी नहीं बीतता, स्मृति बनकर साथ-साथ चलता है और थर-थर काँपते वर्तमान में उस कवि-धीरज की तरह स्थिर बना रहता है जिसके सहारे कवि आस्तीक अपने काव्यारम्भ की देहरी पर यह पहचान लेते हैं कि मैं उसी से बना हूँ जो ढह जाता है। आस्तीक की कविता हमें फिर याद दिला रही है कि- जीत नहीं हार बचा लेती है अस्तित्व के छोर पर। यह प्रश्नाकुल कविता है जो हमसे फिर पूछ रही है कि- इस दुनिया के राज़ कौन जानता है और यह दुनिया है किसकी? यह कविता इस
  • Författare: Aasteek Vajpeyi
  • Format: Inbunden
  • ISBN: 9788126730162
  • Språk: Engelska
  • Antal sidor: 150
  • Utgivningsdatum: 2017-07-25
  • Förlag: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd