चित्रकूट का चातक
Mohanlal Gupta
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प्रस्तुत उपन्यास श्रीकृष्ण भक्त अब्दुर्रहीम खानखाना की जीवन-घटनाओं पर आधारित है जो अकबर की सेना के मुख्य सेनापति थे। अब्दुर्रहीम खानखाना अपने समय के महा-दानी, भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त और हिन्दी के बड़े कवि थे। वे बैरामखाँ के पुत्र, अकबर के मुख्य सेनापति थे तथा गोस्वामी तुलसीदास एवं महाराणा अमरसिंह के मित्र थे। कवि गंग को उन्होंने केवल एक कविता के लिए छत्तीस लाख रुपए दिए थे। विद्यानिवास मिश्र ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रहीम को दो बार दर्शन दिए जाने का उल्लेख किया है। अहमदनगर की राजकुमारी चांद-बीबी की भगवद्-भक्ति रहीम के मार्ग-दर्शन में ही पुष्ट हुई। रहीम कभी हज पर नहीं गए, उन्होंने चित्रकूट की माटी में निवास किया। रहीम की इन्हीं बातों से नाराज होकर जहाँगीर और शाहजहाँ ने
- Format: Pocket/Paperback
- ISBN: 9788193798577
- Språk: Engelska
- Antal sidor: 302
- Utgivningsdatum: 2019-11-15
- Förlag: Shubhada Prakashan Jodhpur