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श्रीमती माणिक्याम्बा का शोध-प्रबंध मैंने देखा। वह मेरे काव्य के बिम्ब-विधान पर शोधकर्त्री के अथक श्रम तथा मनोयोग का परिणाम है। काव्य में बिम्ब-विधान अनिवार्य होने पर भी यह जटिल विषय है, क्योंकि कुछ बिम्ब परम्परागत हैं और कुछ कवि की गम्भीर अनुभूतियों से सम्बन्ध रखते हैं। मुझे प्रसन्नता है कि शोधकर्त्री ने अपने प्रथम शोधग्रंथ में ही अपने मनोयोग तथा अर्थशोधी दृष्टि का परिचय दिया है। मेरी शुभकामना लेखिका के प्रति प्रेषित हैं। - महादेवी
- Format: Pocket/Paperback
- ISBN: 9788196611651
- Språk: Engelska
- Antal sidor: 266
- Utgivningsdatum: 2024-03-23
- Förlag: Kasturi Vijayam