bokomslag Poorva-Rang
Skönlitteratur

Poorva-Rang

Namwar Singh

Inbunden

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  • 208 sidor
  • 2018
'पूर्वरंग' 'ऐसे युग में जहाँ मान्यताएँ विवादग्रस्त और अनिश्चित हों, ऐन्द्रिय विषय ही निश्चित हैं और उन्हीं का यथातथ्य चित्रण सम्भव भी है। यही वजह है कि आज के अधिकांश किशोर तथा किशोर-मति कवि प्राकृतिक चित्रों की खोज में विकल हैं। झंझटों से बाहर निकलने का यह आसान तरीका है। समाज से कम झंझट प्रकृति में है और प्रकृति में भी इन्द्रियग्राह्य प्रभावों के चित्रण में सबसे कम झंझट है।'नामवर जी ने यह टिप्पणी 1957 में 'कवि' पत्रिका के 'विशिष्ट कवि' शीर्षक स्तम्भ में मुक्तिबोध से अन्य कवियों की तुलना करते हुए की थी। उल्लेखनीय है कि इस काल-खंड में उन्होंने श्री विष्णुचन्द्र शर्मा द्वारा सम्पादित पत्रिका 'कवि' के लिए 'कविमित्र' नाम से काफी समय तक एक स्तम्भ लिखा था जिसमें वे समकालीन कविता और कवियों पर
  • Författare: Namwar Singh
  • Format: Inbunden
  • ISBN: 9788126730643
  • Språk: Engelska
  • Antal sidor: 208
  • Utgivningsdatum: 2018-01-01
  • Förlag: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd