bokomslag Swyam Prakash - Ek Mulyankan
Skönlitteratur

Swyam Prakash - Ek Mulyankan

A Arvindakshan

Pocket

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  • 286 sidor
  • 2024
स्वयं प्रकाश के लेखन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे गम्भीर से गम्भीर बात कहते हुए भी सहज और सरल बने रहते हैं। उनके लेवान में से ऐसे अंश ढूंब पाना लगभग नामुमकिन होगा जहां वे बोझिल हुए हों। और इसी तरह उनके लेखन में शायद ही ऐसा कुन्छ हो जो सिर्फ मजे के लिए हो। बात चाहे साम्प्रदा]यिकता की हो, स्त्री-पुरुष सम्बंधों की हो, पीढ़ियों के द्वंद्र की हो, समाज में रौर बराबरी की हो, शोषण की हो, जाति प्रथा की हो, अपने खिलंदड़े लहजे को बरकरार रखते हुए स्वयं प्रकाश अपनी बात कहने की कला के उस्ताद साबित होते हैं। यह आकस्तिक नहीं है कि उनकी चौथा हादसा, पार्टीशन, बड़े, बलि, नैनसी क चूड़ा, क्या तुगने कभी कोई सरदार भिलारी बेला जैसी कह निगां समकालीन हिंदी की सबसे ज्यादा पढ़ी और सराही गई कहानियों में शुमार है। अपने
  • Författare: A Arvindakshan
  • Format: Pocket/Paperback
  • ISBN: 9789356827028
  • Språk: Hindi
  • Antal sidor: 286
  • Utgivningsdatum: 2024-12-21
  • Förlag: Prabhakar Prakashan Private Limited